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वरिष्ठ चित्रकार-कवि वाज़दा ख़ान के कविता संग्रह ‘खड़िया’ पर यतीश कुमार की समीक्षा

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एक चित्र हजारों शब्द को बयां करता है और भावनाओं को प्रस्तुत करता है। किसी का हाथ साहित्य और कला दोनों ही विधाओं में बराबर सधा हो तो इसे विरल संयोग ही कहा जाएगा। कवि-चित्रकार वाज़दा को पढ़ते हुए ऐसा बार-बार लगता है जैसे रंगों से एक लंबी बात-चीत का फ़लसफ़ा टुकड़ों में दर्ज है। रंगों का दर्शन बोध , उसकी व्यापकता और आपकी जिंदगी में उसकी अहमियत सब कविता में रची-बसी मिलती है। स्याह अंधेरा को रंगीन स्याही में घोल वह कविता में उतारती हैं- अंधेरे का अर्थ , लाल भी हो सकता है जो हमारी देह की , अंधेरी शिराओं में बहता है बरतते हैं उसे जब हम उजाले में तब सही सही पहचान पाते हैं सिलती ख़्वाहिशों के लिए चिंतित कवि , मन के सुरंग में झांकती हैं , उन्मुक्त आकाश में उड़ने को कहती हैं और क़ैद संवेदनाओं को छू कर आजाद कर देना चाहती है। वह कविताओं के ज़रिए उन कोटरों को खोज रही हैं जहां मन का कबूतर बेचैन चुप्पी ओढ़े लुढ़का पड़ा है। वाज़दा बेचैनियों को चैन देने और उन्हें आकाश देने की बात करती हैं। ‘ खड़िया’ शीर्षक कविता की ये महज पाँच पंक्तियों कितनी व्यापकता समेटे है- इक लम्बी काली रात इक सु

यतीश कुमार के संस्मरण संग्रह ‘बोरसी भर आँच’ पर वरिष्ठ लेखक-चिंतक डॉ योगेन्द्र की टिप्पणी

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ठंड जब बहुत पड़ती थी तो दादी बोरसी का इंतजाम करती थी। जाँघ और दोनों टांगों के बीच बोरसी लेकर उस पर चादर डाल कर ताप को महसूसने में अद्भुत मज़ा आता था और सोते वक़्त खटिया के नीचे उसे रख कर ठंड को कोसों दूर भगाया जाता था। बोरसी की एक दूसरी कथा भी है और वह है बोरसी से कभी-कभी आग भी लग जाती थी। मेरे पिता इसी आग की पीड़ा से गुजरे और चल बसे। स्मृतियाँ दोतरफा मार करती हैं , वह रससिक्त भी करती हैं और पीड़ा से भी भरती हैं। यतीश कुमार की स्मृतियों से गूँथी पुस्तक ‘बोरसी भर ऑंच’ में रस भी है और अथाह पीड़ा भी। उनकी माँ अस्पताल में काम करती है। पति शिक्षक थे , मगर ब्रेन ट्यूमर से गुजर गये। पुन: जिस डॉक्टर से संपर्क हुआ , उसकी त्रासद मौत हुई। इस बीच पलते रहे - चीकू के नाम से यतीश , एक बहन और भाई। अभावों के बीच कोई फूल खिल सकता है तो समय की मार से मुरझा भी सकता है। चीकू ने जैसा जीवन जीया , उसमें दोनों संभावनाएँ थीं। चीकू उबर गया , जिजीविषा थी , वक़्त से जूझने का माद्दा था , लेकिन बहन का कैरियर थमा। बहन संवेदनशील थी , चीकू को संरक्षित करती रही , लेकिन वह नफ़रत और अज्ञात दुश्मनी के शिकार हुई। उसे