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Showing posts from March, 2023

यतीश कुमार का संस्मरण 'बैरन डाकिया'

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बैरन डाकिया ( संस्मरण ) - यतीश कुमार पिछले दिनों वर्ष 1998 में आयी फिल्म ‘ दुश्मन ’ की अचानक ही याद आ गई। इसी फिल्म का एक गाना मुझे बेहद पसंद है ‘ प्यार को हो जाने द ो... ’ । दोनों जुड़वा बहनों क ी भूमिका में काजोल का जबरदस्त अभिनय तो था ही लेकिन मुझे सबसे ज्यादा चमत्कृत किया था डाकिया की भूमिका में आशुतोष राणा की बेहद डरा देने वाली अदाकारी ने। इस किरदार में आशुतोष राणा ने जिस तरह आंखों , भाव भंगिमा और अपनी वजनदार आवाज का इस्तेमाल किया है उसका कोई सानी नहीं है। फिल्म के लिए उन्होंने फिल्मफेयर , स्क्रीन और जी सिने का बेस्ट विलेन का अवार्ड जीता। फिल्म हो या कहानी या कोई कविता, इससे गुजरते हुए स्वभाविक तौर पर आप अपने आप को उसमें ढूँढने लगते हैं। कनेक्ट इस्टैब्लिश करने लगते हैं और फिर आपकी स्मृतियों में हलचल होने लगती है। खट्टी-मीठी स्मृतियाँ अवचेतन में निवास करती हैं। स्मृतियाँ गहरी नींद की तरह सुप्त रहती हैं और इसी नींद से उनींदी के सफर में कभी किसी रोज़ समय की सुई उल्टी दिशा में घूमते हुए हमें उस अवस्था में ले जाती हैं जहाँ तितलियों और गिलहरियों वाली ज़िंदगी चेतन में चलचित्र की तर

यतीश कुमार का संस्मरण 'बड़की अम्मा'

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 यतीश कुमार का संस्मरण 'बड़की अम्मा'   मेरा ननिहाल मुंगेर में था। लखीसराय से 55 किलोमीटर दूर मुंगेर का छोटा-सा मोहल्ला माधोपुर है। छुट्टियों में हमेशा में वहीं होता था। कभी मां से पूछकर , पैसे लेकर तो कई बार मां से रूठ कर बिना पैसे के ही पहुंच जाता। मुंगेर मेरे लिए तीर्थ स्थान से कोपभवन तक सबकुछ था। नाना-नानी , मामा-मामी ये रिश्ते बहुत प्यारे होते हैं। सभी उदासियों को निश्छलता से समेटने वाला बचपन स्वच्छंद आजादी से अपने पंखों को फैलाता है। यहां हद से ज्यादा बदमाशियां करते हैं तो भी वापसी में आपको मिलता है लाड़ और दुलार। जितना संरक्षण ननिहाल में मिलता है उतना शायद ही कहीं मिलता हो। खैर , इस संस्मरण के केंद्र में है- बड़की अम्मा। आज इतने दिनों बाद भी मेरी स्मृति में उनकी डर की तस्वीर काबिज है। नजर को चाबुक , जिसने कहीं मेरे स्मृतियों की जमीन पर उगे नाजुक दूब को अपने पैरों से रौंदा है , जिसका असर पीठ पर सिहरन की तरह आज भी दौड़ता है। मेरे नाना दो भाइयों में छोटे भाई थे। घर अलग-अलग थे , लेकिन दोनों घरों की छतें मिली हुई थीं। रात को जब नाना दुकान से लौटते तो परिवार के सारे सदस्य